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बीए सेमेस्टर-1 चित्रकला प्रथम प्रश्नपत्र

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2675
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-1 चित्रकला प्रथम प्रश्नपत्र

अध्याय - 4.

अजन्ता एवं बाघ

(Ajanta and Bagh)

 

प्रश्न- अजन्ता की गुफाओं की खोज का संक्षिप्त इतिहास बताइए।

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. अजन्ता की गुफाएँ कहाँ स्थित हैं तथा इसका यह नाम कैसे पड़ा?
2. अजन्ता की गुफाओं की खोज कब तथा किस प्रकार हुई?
3. अजन्ता की गुफाओं की जानकारी मिलने पर ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने क्या किया?
4. 1909-1911 ई० में लेडी हैरिंघम ने भारत आकर अपना योगदान किस कार्य में दिया?
5. अजन्ता के चित्रों की प्रतिकृतियों का स्वतन्त्रता के बाद क्या किया गया?

उत्तर -

अजन्ता की गुफाएँ

सुन्दर रूप और कल्पना की मृदु मुस्कान, करुणा और शान्ति के आँचल से आवृत्त अजन्ता की कलाकृतियाँ अपने अवगुण्ठन में न जाने कितनी सरस भावनाओं और कलाकारों की अन्तर- अनुभूतियों की उपलब्धियाँ छिपाए अपने अस्तित्व से प्राचीन भारतीय कला - इतिहास को स्वर्ण पृष्ठिका लगाए हुए अपने मूक रूपों से चिरशान्ति और आत्मा के अमरत्व का संदेश दे रही हैं। अजन्ता महाराष्ट्र (बम्बई राज्य) में, औरंगाबाद जिले में स्थित है। अजन्ता तक पहुँचने के लिए जलगाद्दव से फरदापुर ग्राम होते हुए जाना पड़ता है। यहीं पर अजन्ता से दो मील की दूरी पर 'अजिण्ठा' नाम का ग्राम है जिसका मूल उच्चारण 'अजिस्ठा' है। इस ग्राम के नाम पर ही गुफाओं का नाम अजन्ता पड़ा है।

ये गुफाएँ सेंट्रल रेलवे के स्टेशन औरंगाबाद से लगभग 102 किमी पर स्थित हैं। औरंगाबाद से मोटर - बसों के द्वारा अजन्ता तक आने-जाने की अच्छा व्यवस्था है। सेंट्रल रेलवे के पहूर और जलगाँव स्टेशनों से भी बस द्वारा अजन्ता तक पहुँचा जा सकता है। जलगाँव तथा अजिण्ठा दोनों ही स्थानों पर दर्शनार्थियों के ठहरने के लिए विश्रामगृह बने हुए हैं। अब मोटर बस के द्वारा वहाँ जाने की पर्याप्त अच्छी व्यवस्था है। जलगाँव से अजन्ता तक जाने वाले मार्ग पर ही पहूर तथा फरदापुर गाँव भी स्थित हैं।

अजन्ता की गुफाएँ हरिशृंगार वृक्षों से आच्छादित मनोरम एकाकी घाटी में स्थित हैं। यहाँ पर पक्षियों के वृन्द प्रातः तथा सन्ध्या के समय अपने सुरीले, मधुर कलरव से एक संगीत की लय छेड़ देते हैं। इस घाटी में सतपुड़ा की पहाड़ियों को काटती बघोरा नदी अनेक घुमाव लेती हुई कल-कल निनाद से प्रवाहित होती है। इस नदी के घुमावों से घाटी का रूप अर्द्धचन्द्राकार के समान बन गया है और इसी बायीं ओर या उत्तर की ओर एक मोड़ पर लगभग 240 फुट ऊँची एक पहाड़ी सीधी खड़ी है। इस पहाड़ी में एक अर्द्धचन्द्राकार पंक्ति में ये गुफाएँ काटकर बनाई गई हैं। इस पहाड़ी के उत्तर की ओर से एक प्रपात निनाद करता प्रवाहित होता है। ये तीस गुफाएँ पूर्व. से पश्चिम की ओर लगभग 600 गज की लम्बाई में बनाई गई हैं। वर्षा आगमन के साथ यह सारी गुफाएँ सस्यश्यामल वृक्षों से आच्छादित हो जाती हैं। पुष्पित हरि शृंगार तथा पुष्पों की सुगन्ध से यह घाटी महक जाती है, तब शाल और सागौन के वृक्ष प्रहरी के समान किसी के आगमन की मौन प्रतीक्षा में खड़े रहते हैं।

अजन्ता की खोज, प्रतिकृतियाँ तथा प्रचार

मुगलकाल के कुछ ऐसे लेख प्राप्त होते हैं जिनसे पता चलता है कि मुगल सेनाएँ दक्षिण की ओर अजन्ता की घाटी से होकर जाती थीं। लेकिन सैकड़ों वर्षों तक जंगलों में छुपी ये अज्ञात गुफाएँ जंगली पशुओं, चमगादड़ों आदि पक्षियों का घर बनी रहीं और 1876 ईसवी में यूरोप के लोगों को सर्वप्रथम इन गुफाओं का ज्ञान हुआ। उनको यह ज्ञान मद्रास रेजीमेंट के कुछ सैनिकों से हुआ जो इस घाटी में विद्राहियों को दबाने के लिए गये थे। एक सैनिक लोमड़ी का पीछा करते हुए अजन्ता की एक गुफा में पहुँचा और उसने चित्र देखे। इन चित्रों की सूचना उसने अपने कमान्डेंट ^ को दी। यह सूचना पाकर एक अंग्रेज कम्पनी अधिकारी विलियम एकिन ने एक लेख तैयार किया और उसे 'बॉम्बे लिटरेटी सोसाइटी' में पढ़ा। इसके पश्चात् 1824 ई० में लेफ्टीनेंट जेम्स ई० अलेक्जेंडर ने इन गुफाओं को देखा और उन्होंने रायल सोसाइटी लंदन को इनका विवरण भेजा। परन्तु फिर भी 1843 ईसवी तक इन गुफाओं की ओर किसी का ध्यान नहीं गया। 1843 ई० में चार वर्ष अजन्ता का निरीक्षण तथा अध्ययन करके मिस्टर जेम्स फरगुसन ने इन गुफाओं का विवरण फिर से कम्पनी को दिया और ईस्ट इंडिया कम्पनी के निदेशकों से उन्होंने जनता के व्यय पर इन चित्रों की अनुकृतियाँ तैयार कराने का आग्रह किया। तब ईस्ट इंडिया के निवेदन पर इंग्लैंड की सरकार ने एक कुशल चित्रकार मेजर राबर्ट गिल को 1847 ई० में अजन्ता के चित्रों की अनुकृतियाँ बनाने के लिए भारत भेजा। 1857 ईसवी के विद्रोह की चिंगारी के भड़कते ही मेजर गिल ने चित्रों की अनुकृतियाँ बनाने का काम छोड़ दिया। इस समय तक 30 या अधिक चित्रों की अनुकृतियाँ बनकर तैयार हो चुकी थीं, यह अनुकृति - चित्र मेजर गिल ने स्वदेश (इंग्लैंड) भेज दिए जो 1866 ईसवी की क्रायस्टल पैलेस की प्रदर्शनी में प्रदर्शित किए गए। परन्तु इस भवन (पैलेस) में आग लग जाने के कारण यह अनुकृतियाँ जलकर समाप्त हो गई। इस प्रकार केवल पाँच अनुकृति - चित्र जो मेजर गिल ने बाद में बनाये थे, शेष रह गए। मेजर गिल के द्वारा बनाए गए अजन्ता के सारे अनुकृति चित्र अप्राप्त हैं। इन चित्रों के कुछ छोटे-छोटे इनग्रेविंग्ज प्रिन्ट 'मिसेज इस्पियर' की 'एंशियेंट इंडिया' नामक पुस्तक में प्रकाशित हैं। तत्पश्चात् 1872 ईसवी से 1885 ईसवी के मध्य बम्बई आर्ट स्कूल के प्रिंसिपल मिस्टर ग्रिफिथ्स तथा उनके शिष्यों ने सुन्दर प्रतिकृतियाँ बनायीं जो 1885 ई० में 'विक्टोरिया एण्ड अल्बर्ट म्यूजियम - साउथ केसिंग्टन में प्रदर्शित की गईं, परन्तु उस भवन में अग्नि लग जाने से जलकर नष्ट हो गईं। ग्रिफिथ्स फिर भारत आये और उन्होंने फिर चित्रों की अनुकृतियाँ बनायीं जो दो जिल्दों में 'दि पेंटिंग्स ऑफ बुद्धिस्ट केव टेम्पिल्स ऑफ अजन्ता, खान देश, इंडिया' शीर्षक से 1896 में प्रकाशित हो चुकी हैं। 'इंडिया आफिस लंदन' में फोटोग्राफों का एक सुन्दर संग्रह भी है जो डॉ० बर्गेस ने तैयार किया था।

इस प्रकार क्रायस्टल पैलेस के अग्निकाण्ड ने ही इन चित्रों की प्रतिलिपियों को नष्ट नहीं किया, बल्कि साउथ केसिंग्टन म्यूजियम के अग्निकांड में ग्रिफिथ्स के द्वारा बनायी गई कई प्रतिकृतियाँ जलकर स्वाहा हो गईं। इस अग्निकांड से बची लगभग एक सौ से अधिक प्रतिकृतियाँ 'इंडियन सेक्शन ऑफ विक्टोरिया एण्ड अल्बर्ट म्यूजियम' – साउथ केसिंग्टन, में सुरक्षित हैं, परन्तु इनमें से कई चित्र नष्ट हो चुकी हैं।

1909-1911 ई० में लेडी हैरिंघम भारत आयीं और उन्होंने नन्दलाल बसु, असित कुमार हाल्दर, वेंकटप्पा एवं एस० एन० गुप्ता तथा कु० लार्चर तथा ल्यूक भारतीय कलाकारों के द्वारा पुनः अजन्ता के चित्रों की अनुकृतियाँ तैयार करायीं जो 1915 ई० में लंदन से प्रकाशित हुईं। उन्होंने हैदराबाद राज्य के निजाम से भी सहायता माँगी जिसके परिणामस्वरूप सैयद अहमद वहाँ के अध्यक्ष नियुक्त किए गए। सैयद अहमद ने फिर से चित्रों की प्रतिकृतियाँ तैयार कराईं। इन चित्रों की रंगीन फोटो प्रतिकृतियों का एक संग्रह जी० यजदानी ने तैयार किया जिसको निजाम सरकार के पुरातत्त्व विभाग ने चार जिल्दों में प्रकाशित किया। स्वतन्त्रता के पश्चात् ललित कला अकादमी (दिल्ली) ने यहाँ के चित्रों के रंगीन फोटोग्राफों के प्रिन्ट्स का एक छोटा पोर्टफोलियो तैयार कराया जो कलाप्रेमियों तक अजन्ता के चित्रों की छवि पहुँचाने में सहायक सिद्ध हुआ। 1954 ई० में यूनेस्को के द्वारा भी न्यूयार्क से अजन्ता के रंगीन चित्रों का एक संग्रह 'पेटिंग्स ऑफ अजन्ता केव्ज' के नाम से प्रकाशित हुआ।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- कला अध्ययन के स्रोतों पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  2. प्रश्न- प्रागैतिहासिक भारतीय चित्रकला की खोज का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
  3. प्रश्न- भारतीय प्रागैतिहासिक चित्रकला के विषयों तथा तकनीक का वर्णन कीजिए।
  4. प्रश्न- भारतीय चित्रकला के साक्ष्य कहाँ से प्राप्त हुए हैं तथा वे किस प्रकार के हैं?
  5. प्रश्न- भीमबेटका क्या है? इसके भीतर किस प्रकार के चित्र देखने को मिलते हैं?
  6. प्रश्न- प्रागैतिहासिक काल किसे कहते हैं? इसे कितनी श्रेणियों में विभाजित कर सकते हैं?
  7. प्रश्न- प्रागैतिहासिक काल का वातावरण कैसा था?
  8. प्रश्न- सिन्धु घाटी के विषय में आप क्या जानते हैं? सिन्धु कला पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  9. प्रश्न- सिन्धु घाटी में चित्रांकन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  10. प्रश्न- मोहनजोदड़ो - हड़प्पा की चित्रकला को संक्षेप में समझाइए।
  11. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता की कला पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  12. प्रश्न- जोगीमारा की गुफा के चित्रों की विषयवस्तु तथा शैली का विवेचन कीजिए।
  13. प्रश्न- कार्ला गुफा के विषय में आप क्या जानते हैं? वर्णन कीजिए।.
  14. प्रश्न- भाजा गुफाओं पर प्रकाश डालिये।
  15. प्रश्न- नासिक गुफाओं का परिचय दीजिए।
  16. प्रश्न- अजन्ता की गुफाओं की खोज का संक्षिप्त इतिहास बताइए।
  17. प्रश्न- अजन्ता की गुफाओं के चित्रों के विषय एवं शैली का परिचय देते हुए नवीं और दसवीं गुफा के चित्रों का वर्णन कीजिए।
  18. प्रश्न- अजन्ता की गुहा सोलह के चित्रों का विश्लेषण कीजिए।
  19. प्रश्न- अजन्ता की गुहा सत्रह के चित्रों का विश्लेषण कीजिए।
  20. प्रश्न- अजन्ता गुहा के भित्ति चित्रों की विशेषताएँ लिखिए।
  21. प्रश्न- बाघ गुफाओं के प्रमुख चित्रों का परिचय दीजिए।
  22. प्रश्न- अजन्ता के भित्तिचित्रों के रंगों पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  23. प्रश्न- अजन्ता में अंकित शिवि जातक पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  24. प्रश्न- सिंघल अवदान के चित्र का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  25. प्रश्न- अजन्ता के चित्रण-विधान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  26. प्रश्न- अजन्ता की गुफा सं० 10 में अंकित षडूदन्त जातक का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  27. प्रश्न- सित्तन्नवासल गुफाचित्रों पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  28. प्रश्न- बादामी की गुफाओं की चित्रण शैली की समीक्षा कीजिए।
  29. प्रश्न- सिगिरिया की गुफा के विषय में बताइये। इसकी चित्रण विधि, शैली एवं विशेषताएँ क्या थीं?
  30. प्रश्न- एलीफेण्टा अथवा घारापुरी गुफाओं की मूर्तिकला पर टिप्पणी लिखिए।
  31. प्रश्न- एलोरा की गुहा का विभिन्न धर्मों से सम्बन्ध एवं काल निर्धारण की विवेचना कीजिए।
  32. प्रश्न- एलोरा के कैलाश मन्दिर पर टिप्पणी लिखिए।
  33. प्रश्न- एलोरा के भित्ति चित्रों का वर्णन कीजिए।
  34. प्रश्न- एलोरा के जैन गुहा मन्दिर के भित्ति चित्रों का विश्लेषण कीजिए।
  35. प्रश्न- मौर्य काल का परिचय दीजिए।
  36. प्रश्न- शुंग काल के विषय में बताइये।
  37. प्रश्न- कुषाण काल में कलागत शैली पर प्रकाश डालिये।
  38. प्रश्न- गान्धार शैली के विषय में आप क्या जानते हैं?
  39. प्रश्न- मथुरा शैली या स्थापत्य कला किसे कहते हैं?
  40. प्रश्न- गुप्त काल का परिचय दीजिए।
  41. प्रश्न- “गुप्तकालीन कला को भारत का स्वर्ण युग कहा गया है।" इस कथन की पुष्टि कीजिए।
  42. प्रश्न- अजन्ता की खोज कब और किस प्रकार हुई? इसकी प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख करिये।
  43. प्रश्न- भारतीय कला में मुद्राओं का क्या महत्व है?
  44. प्रश्न- भारतीय कला में चित्रित बुद्ध का रूप एवं बौद्ध मत के विषय में अपने विचार दीजिए।

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